एक कहावत है ‘और बात खोटी, सही दाल रोटी’ इसका मतलब है संसार की सब चीजों में भोजन ही मुख्य है। अगर यही भोजन घर से हजारों किलोमीटर दूर कोई अंजान शख्स प्यार और अपनेपन के माहौल में वो खाना खिलाये जो उस इलाके का परंपरागत भोजन (Traditional Food) हो, तो उसका मजा ही कुछ ओर होता है। लोगों की इसी आनंद का अनुभव कराने का कम कर रहे हैं मुंबई में रहने वाले तीन युवा अमीश धैर्यवान, (Aneesh Dhairyawan) प्रियंका देशपांडे (Priyanka Deshpande) और अमय देशपांडे (Ameya Deshpande)। तो अगली बार जब भी आप कहीं दूसरे शहर में घूमने जाएं तो इनके स्टार्टअप ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) की मदद से मजेदार खाने लुत्फ उठा सकते हैं।
बचपन से दोस्त अमीश, अमय और प्रियंका 2015 में घूमने के लिए लद्दाख गये। काफी दिन वहां रहने के बाद जब वो होटल का खाना खाकर थक गये तो उनके मन में ख्याल आया कि क्यों ना किसी स्थानीय लद्दाखी परिवार के घर जाकर उनके हाथ का बनाया खाना खाया जाये। यहीं से इन तीनों दोस्तों को अपने स्टार्टअप ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) का आइडिया आया। अपने इस आइडिये का हकीकत में बदलने से पहले उन्होने अपने दोस्तों के घर जाकर पारम्परिक खानों का स्वाद चखा और उनको अपने इस स्टार्टअप में होस्ट की भूमिका दी। इसके बाद साल 2016 में उन्होने अपने इस काम की शुरूआत की। अमीश ने ‘इंडिया मंत्रा’ (India Mantra) को बताया कि
‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर किसी भी शहर के मेजबान (Host) और मेहमान (Guest) एक दूसरे को अपनी सेवाएं देते हैं। कोई भी सैलानी चाहे वो विदेशी हो या देशी हमारी वेबसाइट पर जाकर अपनी पसंद के होस्ट को चुनकर उनके घर में मेहमान बनकर खाना खा सकता है। इस तरह कोई भी सैलानी शानदार मेहमान नवाजी के साथ पारंपरिक और घर के बने खाने का लुत्फ ले सकता है।
इस समय ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) अपनी सेवाएं 14 शहरों में दे रहा है। जिसमें दिल्ली, गुड़गांव,जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, लखनऊ, मुंबई, पुणे, बैंगलुरू, चैन्नई, कोच्चि, पुडुचेरी और अहमदाबाद शामिल हैं।‘ऑथेंटिकुक’ के साथ करीब 130 मेजबान जुड़े हुए हैं। इनमें घरेलू महिलाओं से लेकर कॉरपोरेट, मेडिकल, कला के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग हैं जिनको दूसरों को परंपरागत खाना खिलाने में मजा आता है। अमीश बताते हैं कि
हमारे मेजबानों को इस बात के लिए गर्व महसूस होता है कि वो अपने समाज और समुदाय के खान पान के ब्रांड एम्बेसडर बन कर मेजबानी करते हैं। उनके लिए पैसा कमाना ज्यादा मायने नहीं रखता, क्योंकि ये लोग प्यार बांटने में विश्वास रखते हैं। इनके लिए खाना खिलाने से बढ़िया और कोई दूसरा काम नहीं है।
ऐसे कोई नया सदस्य इनके साथ जुड़ना चाहता है तो उसे ‘ऑथेंटिकुक’ की वेबसाइट में अपना रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसके बाद ‘ऑथेंटिकुक’ के सदस्य उनसे सम्पर्क करते हैं और ये जानने की कोशिश करते हैं कि नये सदस्य में पारम्परिक खाना बनाने की कितनी काबलियत है। इस तरह होस्ट के चयन के बाद ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) की टीम उनके लिविंग और डाइनिंग रूम के फोटो मंगवाती हैं। जिससे ये अनुमान लग सके कि कोई भी नया मेजबान कितने लोगों की मेजबानी कर सकता है। साथ ही आसपास की लोकेशन और कैब की सुविधा के बारे में भी जानकारी इकट्ठा की जाती है। जिससे मेहमान को मेजबान के घर पहुंचने में कोई दिक्कत ना हो। इसके बाद ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) का कोई सदस्य उस मेजबान के घर जाकर पारम्परिक खाने का स्वाद लेता है। इसके बाद मेजबान को बताया जाता है कि किसी नए मेहमान का किस तरह स्वागत करना है और उनके साथ किस तरह का व्यवहार करना है। अमीश के मुताबिक
हमारा उद्देश्य है कि ग्राहक को घर का माहौल मिले। इसलिए हम मेजबानों से कहते हैं कि वो भले ही कोई भी भाषा बोलें। सबसे ज्यादा जरूरी है मेहमानों के साथ शालीनता और प्यार के साथ पेश आना। खाना अगर प्यार से परोसा जाए तो सीधे दिल को छूता है।
इसके बाद उस मेजबान की ‘ऑथेंटिकुक’ वेबसाइट पर लिस्टिंग हो जाती है। इसके बाद मेजबान अपनी इच्छा के मुताबिक दिन और महीना तय कर सकते हैं कि वो कब मेजबानी के लिए तैयार हैं। इसके बाद ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) की वेबसाइट पर मेजबान से जुड़ी सारी जानकारी डाल दी जाती है। इसके बाद कोई भी मेहमान या सैलानी वेबसाइट पर जाकर अपनी बुकिंग करा सकता है। बुकिंग कराने के बाद जब तक मेहमान या सैलानी तय शुल्क अदा नहीं करता तब तक मेजबान का पूरा पता नहीं दिया जाता। इस तरह मेजबान जो भी शुल्क लेता है उसका 20 प्रतिशत हिस्सा ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) के खाते में जाता है। जबकि मेजबान का पैसा 24 घंटे से लेकर 72 घंटे के बीच में उसके खाते में पहुंच जाता है।
देश में अपनी तरह के पहले स्टार्टअप ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) के काम को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय ग्लोबल कंपनी ‘बुकिंग.कॉम’ (Booking.com) ने उनको ऐम्स्टर्डम (Amsterdam) बुलाया था। जहां पर दुनिया भर की करीब 7 सौ कंपनियों ने हिस्सा लिया था। इनमें से 10 सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में से एक ‘ऑथेंटिकुक’ (Authenticook) भी शामिल थी। भारत से वो अकेली ऐसी फूड कंपनी थी जिसने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। इस प्रतियोगिता में उन्हीं कंपनियों का चयन किया गया जो सामाजिक क्षेत्र में लोगों को एक स्वावलंबी रोजगार दे रहे हैं। साथ ही जो सांस्कृतिक विरासत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।