पुरुष प्रधान समाज (patriarchal society) में महिलाओं को मौके भले ही आसानी से ना मिले, लेकिन वो अपनी प्रतिभा के बलबूते आगे बढ़ना जानती है और अपना अलग मुकाम बना रही हैं। यकीन ना हो तो मिलिए देश की ... पूरी कहानी विस्तार से
एलजीबीटी की आवाज बनी शुभम
समलैंगिकता (Homosexuality) को लेकर समाज दो धड़ों में बंटा हुआ है, लेकिन सही गलत की इस लड़ाई में पिस रहे हैं एलजीबीटी यानी लेस्बियन, गे, बाईसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर लोग। ये मुद्दा ऐसा है जिस पर कोई भी ... पूरी कहानी विस्तार से
आईआईटी छात्र बुनकर का बेटा, बदल रहा है दूसरों की तकदीर
हर किसी की जिंदगी एक इम्तिहान की तरह है। इस इम्तिहान से जो डर जाता है उसे कुछ नहीं मिलता और जो इसका सामना करते हैं उनके कदमों में जहां होता है। दलित समाज से आने वाले उस शख्स के पिता बुनकर रहे। स्कूली ... पूरी कहानी विस्तार से
अमेरिका छोड़ा, बच्चों के लिए बनाई ‘धारावी डायरी’
वो भले आज मुंबई (Mumbai) में रहते हों, लेकिन कभी अमेरिका (USA) उनका पहला घर होता था। काम के सिलसिले में जब वो भारत (India) आए तो वो यहीं के होकर रह गए। आज फिल्म निर्माता नवनीत रंजन (Nawneet Ranjan) ... पूरी कहानी विस्तार से
इंद्रधनुषी रंगों से गुलजार स्लम
जिंदगी में रंगों की ताकत देखनी हो, तो मुंबई के स्लम असल्फा (Asalpha slum in Mumbai) से बेहतर शायद कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती। दूसरे स्लम इलाकों की तरह यहां पर कभी कोई बाहरी इंसान जाना पसंद नहीं करता ... पूरी कहानी विस्तार से
सिंगल मदर की ‘रंगभूमि’
वो सिंगल मदर हैं, करीब 12 सालों तक घरेलू हिंसा की शिकार होने के बाद उन्होने अपने पति से अलग होने के फैसला किया। जिस रात उन्होने घर छोड़ा था उस समय उनके पास रहने के लिए छत भी नहीं थी, लेकिन उन्होने ... पूरी कहानी विस्तार से
कला के जरिए महिलाओं की आवाज उठाती 22 साल की अनुष्का
वो ग्राफिक डिजाइनर हैं, चित्रों को नए अवतार में पेश करना उनका पेशा है। इसलिए उन्होने तय किया कि वो अपने काम के जरिए बच्चों और महिलाओं को खास अंदाज से जागरूक करेंगी। वो पौराणिक किरदारों (mythological ... पूरी कहानी विस्तार से
परदेस में भी मेहमान नवाजी का लुत्फ उठायें और खाएं पारंपरिक खाना
एक कहावत है ‘और बात खोटी, सही दाल रोटी’ इसका मतलब है संसार की सब चीजों में भोजन ही मुख्य है। अगर यही भोजन घर से हजारों किलोमीटर दूर कोई अंजान शख्स प्यार और अपनेपन के माहौल में वो खाना खिलाये जो उस ... पूरी कहानी विस्तार से
इसलिए ये कंपनी चला रही है मुहिम ‘करे तो करे कहां’
करे तो करे कहां? ये बड़ा सवाल उन लोगों के लिए जिनके घर शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इसलिए इस सवाल को एक मुहिम में बदलने का काम किया है मुंबई (Mumbai) की एक कंपनी ‘ऑर्गेनिका बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड’ ... पूरी कहानी विस्तार से
बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए नौकरी को कहा अलविदा
एक दौर था जब लोग उनको सोशल मीडिया का गुरु मानते थे, लेकिन आज वो ऐसे बच्चों के गुरु हैं जिन्होने कभी बस में भी सफर नहीं किया। जो ये नहीं जानते की आज की दुनिया चांद पर भी कदम रख चुकी है। मुंबई (Mumbai) ... पूरी कहानी विस्तार से
देह व्यापार से बचाकर उस सदमें से उबारने की कोशिश ‘पूर्णता’
किसी इंसान की पहचान उसके काम से होती है, लेकिन किसी का काम उसकी पहचान के लिये खतरा बन जाये और वो उसे छोड़कर नई जिंदगी शुरू करना चाहे तो ये आसान नहीं होता। मुंबई (Mumbai) में रहने वाले आबू वर्गीस ... पूरी कहानी विस्तार से
अपने दर्द को अनदेखा कर दूसरों में उम्मीद भर रही हैं वो
ज्यादातर लोग अपनी तकलीफ के आगे दूसरों के दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन मुंबई (Mumbai) में रहने वाली 17 साल की मिहिका वार्ष्णेय एकदम जुदा हैं। जन्म से ही एक पैर में तकलीफ होने के बावजूद वो ऐसे ... पूरी कहानी विस्तार से
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